तेरी आँखों में डूबा जब हीं,
तब से न उभर मैं पाया हूँ..
तेरी आँखें "ब्लैक होल" हैं री...
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बदरंग-सी थी हर शय अब तक,
तेरे कदम पड़े..रंग फैल गया..
तू हुस्न की "हिग्स बोसॉन" है क्या?
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हुनर मेरा लापता है तब से,
जब से हुआ मैं हुनरमंद हूँ...
शायर ने अब इश्क़ किया है....
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तेरा नाम आधा लिखकर तुझे सोचता हूँ मैं,
फिर सोचता हूँ कि ये पूरा नहीं मेरे बिना...
हर्फ़ थोड़े तुम भरो, हर्फ़ थोड़े मैं भरूँ....
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उसे अच्छा दिखने का शौक़ है
और मुझे... उसे देखने का..
ज़ौक़ दोनों का एक हीं तो है.
- Vishwa Deepak Lyricist
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