वे आस्तिक हैं..... हमें धर्म से डराते हैं..
ये नास्तिक हैं... हमें "हमारे" धर्म से डराते हैं
और खींचना चाहते हैं अपने धर्म की ओर
जहाँ हर दूसरा धर्म कचरा है
और "कचरा" बताना हीं इनका धर्म है,
ऐसा कहकर ये मजबूत कर रहे होते हैं
अपने धर्म की इमारत, मूर्तियाँ और "अध-कचरी" विचारधारा...
वे आस्तिक हैं... धर्म में.. धर्म-ग्रंथों में... अपने हिसाब से...
ये नास्तिक हैं, जो सारे धर्म-ग्रंथों को खारिज़ करके
लिखते हैं अपना हीं एक "धर्म-ग्रंथ"
जिसे "अंध-विश्वास" की हद तक
निगल लेते हैं इन्हें मानने वाले... "अफीम" के साथ;
अफीम, जो इनके किसी "क्रांतिकारी" ने
आस्तिकों के हीं आस्तीन से उठाई थी....
अब नशे में हैं... आस्तिक,नास्तिक... दोनों हीं..
दोनों ने सवाल करना छोड़ दिया है अपने-अपने धर्म से..
इस तरह...
आस्तिक हो गए हैं दोनों हीं.. किसी-न-किसी धर्म में..
और
हम धर्म-भीरू पिसे जा रहे हैं.. .दोनों धर्मों के पाटों के बीच...
हम..जिनके लिए धर्म का मतलब कुछ और हीं होना था!!!!
- Vishwa Deepak Lyricist
1 comment:
वाह, क्या बात है!
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