उधर मत ताकना,
कंजंक्टिवाईटिस (conjunctivitis) है दुनिया को..
आँखें छोटी किए
बुन रही है
अपनी सहुलियत से हीं
रास्ता, रोड़े, रंग, रोशनी, रूह, रिश्ते... सब कुछ...
देख रही है
अपने हिसाब से हीं
तुझमें तुझे, मुझमें मुझे...
देख रही है
अभी तुझे हीं... आँखें लाल किए..
उधर मत ताकना,
बरगला लेगी तुझे भी;
बना लेगी
तुझे भी..खुद-सा हीं....
- Vishwa Deepak Lyricist
3 comments:
what a satire!
बढ़िया कटाक्ष :):)
शुक्रिया.. :)
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