मैंने लिखना छोड़ दिया है!
साँस चला के रात-रात भर,
आँख जला के रात-रात भर,
बात बढा के बात-बात पर
मैंने टिकना छोड़ दिया है!
वक़्त से किरचे नोच-नोच कर,
ख्वाब के परचे नोच-नोच कर,
हवा में पुलिये सोच-सोच कर,
मैंने बिकना छोड़ दिया है!
मैंने लिखना छोड़ दिया है।
आँख में तेरी डूब-डूब कर,
साँस में तेरी डूब-डूब कर,
प्यास से तेरी खूब-खूब पर
मैंने सपना जोड़ लिया है,
तुझसे लिखना... जोड़ लिया है...
- Vishwa Deepak Lyricist
2 comments:
badhiya ..n likhna ab aapke bas me nahi...writer ki ye majboori jaisi ho jati hai..kalam khud-b-khud hi chalne lagti hai..
जी हाँ.. वो तो है :)
लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि आप कलम लेकर बैठे रहो और शब्द उतरते हीं नहीं पन्ने पे :(
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