वह बेरहम मालिक-मकान
कल निकाल देगा मुझे
इस कमरे से...
आज भर का छप्पर है,
आज भर का बिस्तर है..
आज भर हीं नखरे हैं...
कल से मर-मर जीना होगा,
कल से साँसें लेनी होंगी..
कल कहीं बसेरा करना होगा,
किसी कोख में जाना होगा..
वो कोख भी तो उकता जाएगी.....
- Vishwa Deepak Lyricist
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