Friday, July 27, 2012

वो कोख


वह बेरहम मालिक-मकान
कल निकाल देगा मुझे
इस कमरे से...

आज भर का छप्पर है,
आज भर का बिस्तर है..

आज भर हीं नखरे हैं...

कल से मर-मर जीना होगा,
कल से साँसें लेनी होंगी..

कल कहीं बसेरा करना होगा,
किसी कोख में जाना होगा..

वो कोख भी तो उकता जाएगी.....

- Vishwa Deepak Lyricist

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