Tuesday, July 03, 2012
तन्हा तो एक बला है
पत्थर है कि ख़ुदा है,
इंसान जाने क्या है!
टूटेंगीं मूरतें अब,
मंदिर का सर झुका है..
शब्दों की धांधली है,
मुर्दा भी जी चला है..
छूटोगे मुझसे कैसे,
"तन्हा" तो एक बला है...
-
Vishwa Deepak Lyricist
1 comment:
Alok Shankar
said...
Maja aa gaya tanha bhai. Really good.
Wednesday, July 04, 2012 2:52:00 AM
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1 comment:
Maja aa gaya tanha bhai. Really good.
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