सनद रहे!!!
आसमां की अंतड़ियों में
अम्ल डाल के बैठे हैं जो
उनकी नाजुक जिह्वाओं पे
अमलतास के बीज पड़ेंगे -
ऐसे ख्वाब संजोने वाले
उन सारे कापुरूषों पे अब
जीर्ण-शीर्ण हीं सही मगर कुछ
खंडहर बनने को आतुर
मेरे भूत के पुण्य दो-महले
उसी अम्ल की बारिश चुनकर
सर से नख तक ठप-ठप, ढप-ढप
बनकर कई सौ गाज़ गिरेंगे..
हाँ
हाँ
आज के आज गिरेंगे...
सनद रहे!!!
- Vishwa Deepak Lyricist
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