मैं रात की जेब में चाँद छोड़ आया था...
बादल के झीने कपड़ों से झांकते चाँद को
धड़ दबोचा था बेहया चांदनी ने
सुबकते चाँद की आँखों में
चुभो डाले उसने दो मखमली लब..
अंधी होते-होते रह गई थी रात...
उस रात का चाँद रोता है अब भी..
तुम ओस चुनते हो,
मैं आँसू पोछता हूँ!!!!
- Vishwa Deepak Lyricist
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