मैं नहीं जानता इस "मैं" को!
मैं एक "मैं" को जानता था पहले,
जानता था तब तक
जब तक तुम्हें नहीं सौंपी थी मैंने
उस "मैं" की जिम्मेदारी..
अब न तुम हो,
न वो "मैं" है
और जो आजकल
मुझमें "मैं" बनकर रहता है
वह या तो सौतेला है मेरा
या रहता है सातवें आसमान पर..
या फिर दोनों है...
क्या मालूम!
सुनो,
मेरे उस "मैं" से मन भर गया हो
तो भेज दो बैरंग
या
ले आओ साथ में..
मैं बेचैन हूँ -
अपना यह नया "मैं"
सौंपने के लिए तुम्हें,
तुम्हारे हीं लायक है
खूब जमेगा तुम पर...
- Vishwa Deepak Lyricist
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