चार पल के चोचले हैं,
फिर वही हम दिलजले हैं...
बेनियाज़ी आज होगी,
बेमुरव्वत हौसले हैं...
तुम कहाँ के बादशाह हो,
हम कहाँ के बावले हैं...
दिल जियेगा किस लिए अब,
साँस में जब आबले हैं...
बे-बहर की ये ग़ज़ल है,
शेर सारे मनचले हैं...
- Vishwa Deepak Lyricist
1 comment:
बेशक एक बेहद उम्दा गजल!
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