आपकी बदमाशियाँ ज़ेरोक्स करके रख लूँ मैं..
आईये
कुछ बोलिये,
आँखों को मेरी खोलिये,
मुझको खिलौना कीजिए,
हाथों से टोना कीजिए..
पलकों पे साँसें मारिये,
कानों में झांसे मारिये,
मैं टोकूँ तो हँस दीजिए,
जो बोलूँ कि बस कीजिए
तो रूठ के चल दीजिए..
फिर लौट के खुद आईये
और आते हीं भिड़ जाईये...
आईये
आ जाईये,
आपकी बदमाशियाँ ज़ेरोक्स कर के रख लूँ मैं..
ख्वाब में आती है जो
आपकी हमनाम एक
आप-सी दिखती तो है
पर हैं हुनर उन्नीस हीं..
बीस तो बस आप हैं..
ख्वाब के उस ’आप’ को
आप करने के लिए
आईये
आ जाईये,
आपकी बदमाशियाँ ज़ेरोक्स कर के रख लूँ मैं..
देखिए,
साँस की खुराक का सवाल है!!
- Vishwa Deepak Lyricist
1 comment:
sunder kalpna......
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