पाँव लफ़्ज़ के उलझ पड़े थे,
छिटक के साँसें - सांय - गिरी थीं,
आँखों के फिर आस्तीन पर
प्यार की मीठी चाय गिरी थी,
बर्फ ख्वाब के पिघल गए तब,
पलक से बूँदें हाय, गिरी थीं..
वाह बहुत सुन्दर एहसास में डूबे शब्द पहली बार आपके ब्लॉग का पता चला जुड़ गई हूँ आपके ब्लॉग से वक़्त मिले तो मेरे ब्लॉग पर भी तशरीफ़ रखिये ---http://hindikavitayenaapkevichaar.blogspot.in/
7 comments:
बहुत खूब .... ख्वाबों की बर्फ तो पिघलनी ही थी आखिर चाय गरम थी न :)
waaah..kya kahun ...shbd khoj rahi hoon..
http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/10/blog-post_20.html
वाह बहुत सुन्दर एहसास में डूबे शब्द पहली बार आपके ब्लॉग का पता चला जुड़ गई हूँ आपके ब्लॉग से वक़्त मिले तो मेरे ब्लॉग पर भी तशरीफ़ रखिये ---http://hindikavitayenaapkevichaar.blogspot.in/
ultimate...!!
this one is the best..
:)
sundar ...
आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया..
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