खास बात ये है कि
मैं खास हो चला था जब,
हालात थे तेरे हाथ में
तुझे रास आ गया था तब..
आँखें तेरी थी बाज-सी
जो बाज़ आती थीं नहीं,
बस ढूँढती थी खामियाँ
सीने की मेरी खोह में,
रहती थी इसी टोह में
कि गर जो कुछ ज़िंदा दिखे,
तो फिर न आईंदा दिखे..
कुचले पड़े थे सब मेरे
जज़्बात तेरे दर पे जब,
हाँ, खास बात ये है कि
मैं खास हो चला था तब...
- Vishwa Deepak Lyricist
No comments:
Post a Comment