अगर कभी बस लिखने के लिए लिखो
तो
मत लिखो..
क्योंकि
लिखने के लिए लिखा
तुम्हारा नहीं होता
वह उसका होता है
जो तुम बनके की कोशिश में है
वह उसका होता है
जो तुम बनते जा रहे हो...
अक्षरों को खुली छूट दो,
अक्षर इंसान नहीं
कि रंग बदलें घड़ी-घड़ी..
अक्षर इंसान नहीं
कि मुकर जाएँ अपनी पहचान से भी..
इसलिए लिखने दो अक्षरों को,
तुम न लिखो
और बस लिखने के लिए
तो कतई नहीं...
- Vishwa Deepak Lyricist
3 comments:
हम तो भावनाओं को व्यक्त करने के लिए ही लिखते हैं.. शायद इसमें शब्दों का अस्तित्व नहीं खोता हो.
वह उसका होता है
जो तुम बनके की कोशिश में है
वह उसका होता है
जो तुम बनते जा रहे हो...gr8
ye thought zabardast hai...aur likha bhi zabardast hai!
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