Tuesday, October 16, 2012

मेरी आँखों में सारे साहिल हैं


चाँद पत्थर है,
आसमां पानी,
रात लहरों का उठना-गिरना है...

रात उतरेगी,
आके मुझमें हीं.
मेरी आँखों में सारे साहिल हैं...

चाँद भारी है..
चोट तीखी है..

मेरी यादें हैं...... उसने फेंकी हैं...

- Vishwa Deepak Lyricist

8 comments:

रश्मि प्रभा... said...

रात उतरेगी,
आके मुझमें हीं.
मेरी आँखों में सारे साहिल हैं...क्या बात है

विश्व दीपक said...

शुक्रिया रश्मि जी...

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत खूब ... चाँद भारी है चोट तीखी है ....

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 18-10 -2012 को यहाँ भी है

.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....
मलाला तुम इतनी मासूम लगीं मुझे कि तुम्हारे भीतर बुद्ध दिखते हैं ....। .

Vandana Ramasingh said...

चाँद भारी है..
चोट तीखी है..

मेरी यादें हैं...... उसने फेंकी हैं...

वाह !!!

धीरेन्द्र अस्थाना said...

रात उतरेगी आकर मुझमें!

वाह!

ANULATA RAJ NAIR said...

सुन्दर!!!!!

अनु

विश्व दीपक said...

हौसला-आफजाई के लिए आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया...