उसने अपनी सारी आदतें उतार दीं हैं मेरे कारण...
अब वह बिगड़ने से पहले देख लेता है मेरा "मूड"..
हँसता ज्यादा है आजकल,
ज्यादातर खुद पर...
अकेले में बाँटना चाहता है ग़म मुझ से
और रख देता है दिल खोलकर..
वह अब मेरी "कड़वी" बातें भी सुन लेता है
और झुका लेता है सर...
वह झुका लेता है सर
और चिढ जाता हूँ मैं..
चिढता था मैं पहले भी,
जब वह ऐसा कतई न था..
वह बदल गया है
लेकिन मैं नहीं बदला...
वह जो मेरा "पिता" है,
मुझे आज भी लाजवाब कर जाता है!!!
- Vishwa Deepak Lyricist
1 comment:
bahut hi sundar varnan ... aur bahut sundar tareeke se umr ke us daur ki baat kahi hai aapne
Post a Comment