Sunday, August 19, 2012
मेरी बात सुनो
नाहक़ तुम घबराती हो,
इत-उत आँख छुपाती हो,
फूलों की बातें करके
धूलों-सी बिखरी जाती हो..
मैं जानता हूँ इस मौसम को,
पर गर तुम जो शर्मिंदा हो,
तो मेरी इतनी बात सुनो -
ये सब्ज़ा बस पल भर का है..
-
Vishwa Deepak Lyricist
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