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Friday, February 18, 2022

चलो प्रेम करें

चलो प्रेम करें. एक दूसरे की झुंझलाहट झेल चुकने के बाद अहम को दें तिलांजलि और गले मिल घंटों रोएँ प्रेम में जब आ जाए सच कहने की ताकत- सुनने का हौसला और बनावटीपन हो दरकिनार तब एक-दूजे को अनकहे निहारते हुए चलो प्रेम करें। तुम्हें बुरा लगे मुझ कवि का कुछ न लिखना, मुझे लगे अजीब तुम्हारा अचानक कभी कुछ भी न लगना अजीब. हम बच्चों को संभालते, संवारते जब बस दर्ज करते रहें अपनी उपस्थितियाँ, तब किसी लम्हे तुम या मैं हो जाएं शरारती और पूछें, बताएँ, आदेश दें कि चलो प्रेम करें। क्या कहती हो?

Sunday, March 09, 2014

तुम्हारा मौन


आँखें मूंदो और महसूस करो -
ज़िंदगी तुम्हारे दो शब्दों के बीच के अंतराल में
कुलाचें भर रही है,
खिड़कियाँ खुली हैं आमने-सामने की
और
बहुत कुछ अनकहा गुजर रहा है
दीवारों की सीमाएँ तोड़कर..

मैंने कुछ कहा नहीं है,
फिर भी
ध्वनियों की अठखेलियाँ हैं तुम्हारे सीने में
और
तुम्हारा मौन जादूगर-सा
शून्य से उतार रहा है शब्द
टुकड़ों में...

आँखें मूंदो और महसूस करो-
गले के इर्द-गिर्द छिल रही है
शब्दों की चहारदीवारी
और
कई अहसास सशरीर पहुँच रहे हैं
तुम्हारे-मेरे बीच...

सुनो!
संभालकर रख लो इन्हें...

ये अपररूप हैं प्रेम के.....

इन्होंने मृत्यु को जीत लिया है!!!

- Vishwa Deepak Lyricist