Wednesday, July 05, 2023

तुम.. मेरी बेटी

तुम्हारी हथेली की लकीरों पर मैंने अपने अस्तित्व के बीज़ छोड़ रखे हैं. तुम्हारी हँसी एक कुएँ में घुली चाशनी है. हर सुबह उतरता धुँधलका तुम्हारी आँखों की चिड़ियों की जोहता है बाट.

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