चलो प्रेम करें.
एक दूसरे की झुंझलाहट झेल चुकने के बाद
अहम को दें तिलांजलि
और गले मिल
घंटों रोएँ
प्रेम में जब आ जाए
सच कहने की ताकत- सुनने का हौसला
और बनावटीपन हो दरकिनार
तब
एक-दूजे को अनकहे निहारते हुए
चलो प्रेम करें।
तुम्हें बुरा लगे
मुझ कवि का कुछ न लिखना,
मुझे लगे अजीब
तुम्हारा अचानक कभी
कुछ भी न लगना अजीब.
हम बच्चों को संभालते, संवारते
जब बस दर्ज करते रहें अपनी उपस्थितियाँ,
तब किसी लम्हे
तुम या मैं
हो जाएं शरारती
और पूछें, बताएँ, आदेश दें
कि
चलो प्रेम करें।
क्या कहती हो?
1 comment:
वाह।
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