Sunday, May 18, 2014

साल भर पुरानी वह बात


साल भर पुरानी वह बात,
जिसकी उम्र महज एक साल है-
बड़ी हीं ताजी है।

मेरी ’बुक-सेल्फ’ की सबसे बोरिंग किताब में भी
भर गई थीं रंगीनियां...

आबाद हो चले थे
दिन-रात के कई ’अनाथ’ हिस्से..

नींद हो चली थी साझी
और ख्वाब पूरे..

अब बेफिक्री फिक्र देती थी
और फिक्र का बड़ा-सा बंडल
उतर गया था किन्हीं ’और’ दो आँखों में..
मेरे नाम के मायने भी बदल गए थे शायद..

तभी तो
भले पुकारा जाऊँ सौ बार;
चिढता न था...

सच में-
साल भर पुरानी वह बात,
जिसकी उम्र महज एक साल है-
बड़ी हीं ताजी है।

और हर पल जवां रखा है इसे
तुमने...
बस तुमने!!!

- Vishwa Deepak Lyricist

3 comments:

SKT said...

हमने कुछ नहीं किया दीपक जी! हमें नाहक न लपेटो!!!

विश्व दीपक said...

हाहा... आप भी ना अंकल जी :)

Richa Srivastava said...

beautiful