कि ये हसरत तो हल्की है..
बड़ी तीखी ये तल्खी है,
तेरी नज़रों से छलकी है....
ये मुझसे रंज है तेरा ,
या ये चाहत की झलकी है?
मैं इनमें जज्ब हो जाऊँ,
कि ये हसरत तो हल्की है !!!
जां देकर लूँ हँसी तेरी,
या ये कीमत भी कल की है?
लुटा ना होश गैरों पे,
कि ये दौलत तो पल की है...
बड़ी तीखी ये तल्खी है,
तेरी नज़रों से छलकी है....
-विश्व दीपक
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