प्रेम समाज से,
समाज के उस वर्ग से
जिसे समाज कहना जायज हो।
खरपतवारों की भीड़
खा जाती है ज़मीन को
और पास खड़े पौधे भी
बनने लगते हैं ठूंठ।
इसलिए सावधान!!!!!
जिन सबने पंखों के लालच में
नोंच डाली हैं अपनी जड़ें -
उन्हें उनका क्षणभंगुर आसमान मुबारक!
मैं अपनी चहारदीवारी में खुश हूँ।
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