प्रभु जी आएँगे,
चाशनी में गुड़ की रोटी डुबाएँगे,
गोद में बैठाकर हमको खिलाएँगे,
दिन तर जाएँगे ।
सदियों से आँखों में सपना था जिनका,
झटके से आँखों में उतरेगा तिनका,
मांझी बन तिनके को पार वो लगाएँगे,
काॅर्निया से रेटिना तक धंसते वो जाएँगे,
सच कर दिखाएँगे ।
देश क्या विदेश में भी धाक होगी उनकी,
लाल कृष्ण झुकेंगे, हालत यही "मुन" की,
चुटकी में देश से वो दुर्दिन मिटाएँगे,
हफ्ते में दुनिया के अव्वल हो जाएँगे,
दुश्मन थरथराएँगे ।
भगीरथ के डैडी हैं, माँ ने बुलाया है,
उनके सिवा जो भी है वो छलावा है,
सिंहासन है उनका, वही आ संभालेंगे,
राज कैसे करते हैं, आकर दिखाएँगे,
इतिहास बनाएँगे ।
हाथ हमने जोड़ा है,
बस एक भरोसा है,
प्रभु जी आएँगे,
दिन तर जाएँगे ।
- Vishwa Deepak Lyricist