Male version:
सोचूँ कैसे रखती होगी खुद को मेरी यादों से अलग,
सोचूँ किसको कहती होगी मैं हूँ तुम से महरूम नहीं...
सोचूँ कैसे गिरते होंगे गड्ढे गालों पे अबके बरस,
सोचूँ किसको कहती होगी हद है ये भी मालूम नहीं...
सोचूँ कैसा दिखता होगा शीशे के अंदर उसका असर,
सोचूँ किसको कहती होगी तुम हो इतने मासूम नहीं...
सोचूँ कैसे उठती होगी मुझ बिन उसकी बातों में लचक,
सोचूँ किसको कहती होगी बुद्धू हो तुम मखदूम नहीं..
Female version:
सोचूँ कैसे करता होगा ख्वाबों के बिन नींदों में बसर,
सोचूँ किसको कहता होगा आशिक़ हूँ मैं इंसान नहीं...
सोचूँ कैसे चलता होगा मुझ बिन उसकी बातों का सफ़र,
सोचूँ किसको कहता होगा बचना तुम से आसान नहीं...
सोचूँ कैसे झुकती होगी पल-पल घबरा के उसकी नज़र,
सोचूँ किसको कहता होगा तुम लड़कों से अंजान नहीं...
सोचूँ किसपे रखता होगा हक़ अव्वल आखिर शामो-सहर,
सोचूँ किसको कहता होगा इस दिल का मैं मेहमान नहीं...
- विश्व दीपक
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