मन खरा सोना है
मन मूंगा है, मन माटी है,
मन खरा सोना है... खांटी है..
मन तेरे मन की जाने है,
जहाँ नौ-नौ मन तो बहाने हैं,
जो तू मन से मुझको चाहे है,
तो ये नखरे काहे उगाहे है,
मन मार ना... मन को कोस न तू,
मन दे दे... मन यूँ मसोस न तू...
कि मेरे नाजुक मन को तेरा
मन रोज़ी-रोटी है... लाठी है..
मन खरा सोना है... खांटी है..
-विश्व दीपक
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