Wednesday, February 10, 2010
जोगिया
मुखड़ा
ओ री पगली,
दीवानी बातों से ठगती है आते-जाते तू,
थोड़ी पगली,
नूरानी रातों में जगती है गाते-गाते तू।
बेशक जिसने कहा है,
बेशक शायरनुमा है,
बेशक मुझपे फिदा है..... बेशक हीं।
बेशक कुछ तो हुआ है,
बेशक उसको पता है,
बेशक रब की दुआ है... बेशक हीं।
ओ री पगली,
दीवानी बातों से ठगती है आते-जाते तू,
थोड़ी पगली,
नूरानी रातों में जगती है गाते-गाते तू।
अंतरा 1
वो जो है, रवाँ-रवाँ-सा,
दिखता है, जवाँ जवाँ-सा,
दिलकश है, समां- समां-सा,
आशिक है मेरा...
चाहत से भरा-भरा-सा,
आँखों में धरा-धरा-सा,
नटखट है, ज़रा-ज़रा-सा,
नाजुक है बड़ा...
बोले तो गज़ल-गज़ल बरसे,
होठों से उतर,
छूने को अधर-अधर तरसे,
होके बे-खबर...
बेशक ये एक नशा है,
बेशक मैने चखा है,
बेशक मुझपे चढा है... बेशक हीं।
बेशक जो भी हुआ है,
बेशक मेरी रज़ा है,
बेशक इसमें मज़ा है... बेशक हीं।
अंतरा 2
दिल घड़ी-घड़ी उसी पे आए,
मन मचल-मचल मति लुटाए,
जो सजन कभी नज़र चुभाए,
तो प्रेम-फ़ाग बलखाए.....
दम कदम-कदम दबा हीं जाए,
तन तड़प-तड़प टीस उठाए,
रूत बहक-बहक मुझे सताए,
जो विरह-आग सुलगाए...
बनके बदली,
गश खाती साँसों पे गिर जाए साँसों वाली लू।
अंतरा 3
जोगिया का ठिकाना मैं जो बनी,
मस्तियाँ आशिकाना होने लगीं।
जोगिया का ठिकाना मैं जो बनी,
मस्तियाँ आशिकाना होने लगीं.. सारी हीं।
बेशक वो जो खड़ा है,
बेशक जां से जुड़ा है,
बेशक मेरा पिया है.. बेशक हीं
बेशक यह जो सदा है,
बेशक ग़म की दवा है,
बेशक खुद में खुदा है... बेशक हीं
-विश्व दीपक
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