Wednesday, September 16, 2009

प्रेयसी (एक नए अंदाज़ में)

मुखड़ा:

female:
बस तुझे, हाँ तुझे, देखूँ शामो-सुबह,
तू रहे, सामने, जी लूँ पूरी तरह।

male:
क्या कहूँ, मैं तुझे, मैं हूँ जो भी यहाँ,
रब की सौं, तू हीं है, सब की सारी वज़ह।

female:
इतनी-सी, बात है, तू है मेरा जहां।

अंतरा 1:

female:
ये तो कभी हुआ नहीं, मुझे अपनी फ़िक्र हीं ना रहे।

male:
तुझे पाके हुआ वही, कहीं जिसका जिक्र हीं ना रहे।

female:
आज हीं पाई है, मैने ऐसी दुआ,
तूने ज्योंहि छुआ,
कुछ न कुछ है हुआ।

male:
मैने भी तुझसे हीं सीखी है ये अदा,
सब कहें, प्यार पर, है ये कोई खुदा।

अंतरा 2:

male:
यूँ हीं नहीं तुझे चाहूँ, मुझे तुझमें जश्न कोई दिखे।

female:
है ये वही तेरी चाहत, मुझे जिसमें अगन कोई दिखे।

male:
मेरी तू, तेरा मैं, सच है सनम यही,
अब ये कसम रही,
हो ना जुदा कभी।

female:
बस तुझे, हाँ तुझे, देखूँ शामो-सुबह,
तू रहे, सामने, जी लूँ पूरी तरह।

male:
क्या कहूँ, मैं तुझे, मैं हूँ जो भी यहाँ,
रब की सौं, तू हीं है, सब की सारी वज़ह।

female:
इतनी-सी, बात है, तू है मेरा जहां।


-विश्व दीपक ’तन्हा’

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