मैं तुझमें अपना होना देखूं,
तेरी गोद में रोज़ बिछौना देखूं।
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तेरी हँसी में देखूं चित्रहार,
मेरे जीवन का सारा विस्तार,
तेरे नाम से जोड़ के नाम मेरा,
मैं रख दूं तुझमें अपना संसार।
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संसार की सारी समस्याओं
का खोना, जादू-टोना देखूं।
तेरी गोद में रोज़ बिछौना देखूं।
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मैं बेमकसद बहती एक नदी,
न अर्थ, न लक्ष्य, न पाबंदी,
एक दिन सब बदला एक क्षण में
जब प्राप्त हुई मुझे 'सुकृति'।
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उस क्षण से सदी की करवट का
करतब मैं कोना-कोना देखूं।
तेरी गोद में रोज़ बिछौना देखूं।
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