Tuesday, November 03, 2020

सुकृति

मैं तुझमें अपना होना देखूं, तेरी गोद में रोज़ बिछौना देखूं। . तेरी हँसी में देखूं चित्रहार, मेरे जीवन का सारा विस्तार, तेरे नाम से जोड़ के नाम मेरा, मैं रख दूं तुझमें अपना संसार। . संसार की सारी समस्याओं का खोना, जादू-टोना देखूं। तेरी गोद में रोज़ बिछौना देखूं। . मैं बेमकसद बहती एक नदी, न अर्थ, न लक्ष्य, न पाबंदी, एक दिन सब बदला एक क्षण में जब प्राप्त हुई मुझे 'सुकृति'। . उस क्षण से सदी की करवट का करतब मैं कोना-कोना देखूं। तेरी गोद में रोज़ बिछौना देखूं।

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