हम चेहरे चुनते हैं,
हम चेहरे सुनते हैं,
चेहरे की लीपापोती को
चेहरे-सा गुनते हैं...
.
चेहरे पर सारी नीयत
आकर रुक जाती है,
चेहरे पर सच्ची सीरत
रुककर झुक जाती है...
.
चेहरा औरों की खातिर
मस्तिष्क हो जाता है,
चेहरा हर थोथे निर्णय का
मालिक हो जाता है...
.
चेहरा चेहरा न होकर
इंसान-सा जीता है,
चेहरा इस ओछी दुनिया में
भगवान सरीखा है....
- Vishwa Deepak Lyricist
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