झूलों ने पींगे भर दी हैं,
वसंत ले रहा हिचकोले।
हर कली अलि की राह तके,
कोयल यहाँ कू-कू-कू बोले॥
सूरज ने की है क्या , देखो
इन स्वर्ण किरणों से अटखेली।
हर वृक्ष कोपलों से लिपटा,
हँसती फिज़ाएँ हैं अलबेली॥
यह रात मधुर सुर-ताल लिये,
यह चाँद दूर क्यों शर्माता।
एक तारा चमके आँचल में,
खुशबू अंबर की बिखराता ॥
हर चमन सुमन से ढँका हुआ,
है पवन सुरा का नशा लिए।
है चूनर हरी, धरा झूम चली
पलकों में बंद हर दिशा किए॥
पानी की लहर, पनघट की डगर,
मचले हर पल , हर एक जिगर।
यूँ आया वसंत तो मिले अनंत,
जब प्रेम पले, पिघले भूधर॥
इस नृप का सब करें स्वागत अब,
चंदन, कुंकुम से तिलक करें ।
संग सखा लिए मनसिज आया,
जिसके तरकसे में है प्रीत जड़े॥
-विश्व दीपक ’तन्हा’
1 comment:
man basanti basant ho gaya,bahut avismaraniy varnan hai basant rutu ka,beautiful.
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