मेरी आँखों से कभी, खुद को यूँ देखा करो,
आईना मुझको बना,श्रृंगार आहिस्ता करो।
अपनी रूख को झेंपकर ,
मुझको लब पर लेपकर,
इश्क की चिंगारियों को,
सुर्ख इन क्यारियों को,
आह के रास्ते में ,कतरा-कतरा-सा करो,
आईना मुझको बना, श्रृंगार आहिस्ता करो।
लफ्ज़ सब हीं टांककर,
खनक मेरी आंककर,
प्यार की एक फूंक को,
गूंथकर हर हूक को,
डोलते झुमकों-सा , कान में चस्पां करो,
आईना मुझको बना,श्रृंगार आहिस्ता करो।
संग-संग बीती रैन में,
नम-से मेरे नैन में,
अपनी नाज़ौ-साज़ के
मेरे दिलनवाज़ के,
झूमते अक्स को,माथे की बिंदिया करो,
आईना मुझको बना, श्रृंगार आहिस्ता करो।
मेरी आँखों से कभी, खुद को जब देखा करो,
खुद को कितना चाहोगे, खुद से हीं पूछा करो।
-विश्व दीपक 'तन्हा'
Tuesday, January 29, 2008
Wednesday, January 09, 2008
कम्प्यूटर पर चैट करें!
दिस-दैट कर यूँ चैट करें हम कम्प्यूटर पर,
इश्क-विश्क की बातें होंगी मेरे दिलवर!
ऎ डियर, नियर आना , ना मुझको तड़पाना,
धक-धक हो जाए, हर्ट को जरा धड़काना।
तुम क्रीम हो मेरी लाइफ की, ड्रीम की हो थीम तुम्हीं,
किन लफ्जों में तुम्हें कहूँ, मुश्किल है तुमको समझाना।
स्टोरी लव की तो , गूँजेगी अब शहर-शहर,
इश्क-विश्क की बातें होंगी मेरे दिलवर !
अंखियों से क्यों घूर रही तुम चोरी-चोरी,
स्लोली-स्लोली प्यार किया, कहता हूँ सौरी,
इन्फार्मेशन तुम्हें दिया जो ई-मेल पर था,
देखा तूने नहीं तो क्या यह गलती मेरी।
ऎसे-वैसे मैटर पर हो ना टाईम कवर,
इश्क-विश्क की बातें कर ले मेरे दिलवर!
कितने दिन-कितनी रैना, याद किया हमको कहना,
कब सैड रहे, कब मैड रहे, कब पड़ा तुम्हें गम को सहना,
ब्रेन रहा नर्वस मेरा, क्या था बोलो हाल तेरा,
हर इंसिडेंट , सेंट परसेंट , हमसे सच-सच कहना।
अब स्वीट-हार्ट , की-बोर्ड पर दौड़ा दे फिंगर,
इश्क-विश्क की बातें कर ले मेरे दिलवर!
आजा तुमको स्वीटजरलैंड की सैर करा दूँ,
एड्रेस अपना नील-गगन, चल घर दिखला दूँ,
ऎ मिस! तुमको मिस किया कितना मैने,
लव का मिनिंग इस पल तुमको मैं बतला दूँ।
जरा संभल! कहीं पागल हो ना कम्प्यूटर,
रोक दे बातें, अब बंद हो रहा है दफ्तर ।
-विश्व दीपक 'तन्हा'
7-10-2002
इश्क-विश्क की बातें होंगी मेरे दिलवर!
ऎ डियर, नियर आना , ना मुझको तड़पाना,
धक-धक हो जाए, हर्ट को जरा धड़काना।
तुम क्रीम हो मेरी लाइफ की, ड्रीम की हो थीम तुम्हीं,
किन लफ्जों में तुम्हें कहूँ, मुश्किल है तुमको समझाना।
स्टोरी लव की तो , गूँजेगी अब शहर-शहर,
इश्क-विश्क की बातें होंगी मेरे दिलवर !
अंखियों से क्यों घूर रही तुम चोरी-चोरी,
स्लोली-स्लोली प्यार किया, कहता हूँ सौरी,
इन्फार्मेशन तुम्हें दिया जो ई-मेल पर था,
देखा तूने नहीं तो क्या यह गलती मेरी।
ऎसे-वैसे मैटर पर हो ना टाईम कवर,
इश्क-विश्क की बातें कर ले मेरे दिलवर!
कितने दिन-कितनी रैना, याद किया हमको कहना,
कब सैड रहे, कब मैड रहे, कब पड़ा तुम्हें गम को सहना,
ब्रेन रहा नर्वस मेरा, क्या था बोलो हाल तेरा,
हर इंसिडेंट , सेंट परसेंट , हमसे सच-सच कहना।
अब स्वीट-हार्ट , की-बोर्ड पर दौड़ा दे फिंगर,
इश्क-विश्क की बातें कर ले मेरे दिलवर!
आजा तुमको स्वीटजरलैंड की सैर करा दूँ,
एड्रेस अपना नील-गगन, चल घर दिखला दूँ,
ऎ मिस! तुमको मिस किया कितना मैने,
लव का मिनिंग इस पल तुमको मैं बतला दूँ।
जरा संभल! कहीं पागल हो ना कम्प्यूटर,
रोक दे बातें, अब बंद हो रहा है दफ्तर ।
-विश्व दीपक 'तन्हा'
7-10-2002
Subscribe to:
Posts (Atom)