Tuesday, November 03, 2020

मृत्यु की बिकवाली

ऐसी क्या कंगाली है? मृत्यु की बिकवाली है। जिसके घर का लाल गया, वह भी क्यों बेहाल हुआ? TRP के पागल-हाथों में घुट-घुटकर बदहाल हुआ। वह था कई नज़रों का दीपक, पढा लिखा बेजोड़ विचारक, इतना घिसा गया उसके जाने को ....यादों पर चढ़ बैठे दीमक। NASA छुपा, नशा खुल गया, Moon ऊपर अवगुण ढुल गया, नीत्शे और सात्र बिला गए, Split से दर्शनशास्र धुल गया। हासिल क्या हीं हुआ पिता को? मौत सही , बदनामी सहो। 'अनर्गल' मीडिया के लिए तो यह रोज़ की कव्वाली है, मृत्यु की बिकवाली है।