बेटी! तुम रोज़ आकाश गढ़ती रहना।
मैं तुम्हारे साथ, तुम्हारे लिए
बेझिझक उड़ता रहूँगा।
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अपनी गोद खुली रखना
जहाँ मेैं खुलकर हँस सकूँ, रो सकूँ,
भरपूर रो सकूँ।
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सकुचाए हुए रिश्ते
सिकुड़ जाते हैं।
तुम दोस्त रहना!
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बेटियों!
न कमना,
न थमना।
बढना
और बढ़ते हुए
नज़र ऊँची रखना।
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तुम इस पिता की सृष्टि की
दो सुंदर कृतियाँ हो।