राष्ट्रद्रोह का आरोपण!
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नाखून तक न कटाकर शहीद कहलाने वालों का
'तुरूप का इक्का',
रेत में सर डाले शुतुरमुर्ग के लिेए रामबाण सुरक्षा-कवच,
बवासीर-वादियों का 'लवण-भास्कर चूर्ण'...
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राष्ट्रद्रोह का हर सुबह उच्चारण
जगाता है एक नई स्फूर्ति,
पल में करता है छू
गूढ से गुह्यतम हर-एक गुप्त रोग;
जागृत करता है कुंडलिनी
जिह्वा के इर्द-गिर्द...
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राष्ट्रद्रोह के पैमानें
भोले हैं,
मुहरें
हैं सुलभ,
चश्में
सुसंस्कृत!
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मैं जीवित हूँ
जीजिविषा के साथ
और इसीलिए
तुम्हारी लेखनी आतुर है
डुबोने के लिए
इसे
अपराध की किसी-न-किसी श्रेणी में......
- Vishwa Deepak Lyricist