संज्ञान-दिवस
भूल सको तो भूल जाओ कि हिन्द कभी परतंत्र भी था,
शीश उठाके जीने हेतु मृत्यु-सा कोई मंत्र भी था,
काट रहे थे तुमको जब वो और मौन था शेष जगत,
तब आए थे आगे बस हीं राजगुरू, सुखदेव, भगत.. ............
उन वीरों ने जान लुटाकर सौंपा था जो स्वर्ण-कलश,
आज उसी की सुधि लेने को आया है संज्ञान-दिवस.....
याद है कुछ या भूल गए उन वीरों का बलिदान-दिवस.....
आज है वह बलिदान-दिवस....... आज हीं है बलिदान-दिवस....
-विश्व दीपक
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