तेरी आँखों में आसमां आकर यूँ भर गया,
तूने उठाई पलकें जो, सूरज सँवर गया।
तारों के तार बुन रही पलकों के कोर पर,
उस चाँदनी का हुस्न, गिरकर निखर गया।
चिलमन से छन-छनकर,
मुझको निहारती,
तेरी इस रोशनी से मैं
जी-जीकर मर गया,
तूने उठाई पलकें जो, सूरज सँवर गया।
कुहरे-सा एक-एक पल,
तेरे करीब में,
वक्त की सड़क पर यूँ
जम कर बिखर गया,
तूने उठाई पलकें जो, सूरज सँवर गया।
अलकों में रातरानी,
भौंह पर यह रात फ़ानी,
गालों पर आसमानी
सिंदुर की कहानी।
दर्पण थमा-थमाकर,
मेरी निगाह को,
सीसे-सा तेरा नूर तो
कई रूप धर गया,
तूने उठाई पलकें जो, सूरज सँवर गया।
ओठों पर भर-भराकर,
तुम्हारे लोच से
क्षितिज से टूटकर वो
इन्द्रधनक उतर गया,
तूने उठाई पलकें जो, सूरज सँवर गया।
गरदन पर धूप मानी,
कांधों पर छांव दानी,
कटि पे बे-म्यानी
तलवार की निशानी।
नख-शिख यूँ रूमानी तुझे देखकर शायद,
जहां का हरेक शय,तुझमें हीं जड़ गया,
तेरी आँखों में आसमां आकर यूँ भर गया,
तूने उठाई पलकें जो , सूरज सँवर गया।
तूने उठाई पलकें जो, सूरज सँवर गया।
तारों के तार बुन रही पलकों के कोर पर,
उस चाँदनी का हुस्न, गिरकर निखर गया।
चिलमन से छन-छनकर,
मुझको निहारती,
तेरी इस रोशनी से मैं
जी-जीकर मर गया,
तूने उठाई पलकें जो, सूरज सँवर गया।
कुहरे-सा एक-एक पल,
तेरे करीब में,
वक्त की सड़क पर यूँ
जम कर बिखर गया,
तूने उठाई पलकें जो, सूरज सँवर गया।
अलकों में रातरानी,
भौंह पर यह रात फ़ानी,
गालों पर आसमानी
सिंदुर की कहानी।
दर्पण थमा-थमाकर,
मेरी निगाह को,
सीसे-सा तेरा नूर तो
कई रूप धर गया,
तूने उठाई पलकें जो, सूरज सँवर गया।
ओठों पर भर-भराकर,
तुम्हारे लोच से
क्षितिज से टूटकर वो
इन्द्रधनक उतर गया,
तूने उठाई पलकें जो, सूरज सँवर गया।
गरदन पर धूप मानी,
कांधों पर छांव दानी,
कटि पे बे-म्यानी
तलवार की निशानी।
नख-शिख यूँ रूमानी तुझे देखकर शायद,
जहां का हरेक शय,तुझमें हीं जड़ गया,
तेरी आँखों में आसमां आकर यूँ भर गया,
तूने उठाई पलकें जो , सूरज सँवर गया।
-विश्व दीपक 'तन्हा'