Wednesday, March 07, 2007

कुछ हाइकू (मेरे प्रथम प्रयास)

१. पूजा की थाली
मटमैली कसैली
तीखी जिंदगी ।

२. सधा दिमाग
बेसुध दिन-रैन
इंजीनियर ।

३. फिट तिजोड़ी
अनफिट लकीरें
सफल नेता ।

४. किन्नर प्रभु
लाचार समर्पण
बाबरी ध्वंस ।

५. बुभुक्षु बड़ी
गरीब की किस्म्त
जों फटा पेट ।

६. रक्तिम ट्रेन
नैसर्गिक संदेह
शराबी खुदा ।

७. संगीन न्याय
सद्दाम और बुश
पवित्र पापी ।

-विश्व दीपक 'तन्हा'

8 comments:

Udan Tashtari said...

प्रयास अच्छा है!! बधाई.

Pramendra Pratap Singh said...

सटीक हाईकू

राजीव रंजन प्रसाद said...

बहुत सुन्दर..यह विधा भी अनूठी है और आपने इसमें महारत हासिल कर ली है..

अनूप शुक्ल said...

बढ़िया लिखा है!और लिखते रहें!

Manish Kumar said...

आपकी कविताएँ ORKUT पर पढ़ीं थीं । यहाँ देखकर आपको अच्छा लगा । अच्छा प्रयास किया है आपने !

Mohinder56 said...

Nice Hikoooos...
Tanha ji mein wo kavita :Sanskriti Palaayaan: Pehle hi likh chuka tha...kavya palvan vala bhag baad mein shuru hua.......

Nishant Neeraj said...
This comment has been removed by the author.
Nishant Neeraj said...

Add me in your fan list.

Here are few trivial changes that would make this HYKOO more satisfactory to a rational person.

2.सधा दिमाग
बेसुध दिन-रैन
इंजीनियर ।
Replace सधा with Bandha (tied) dimag as I dont find engineers sharp minded, they are bounded by nature its scientist who are free.

७. संगीन न्याय
सद्दाम और बुश
पवित्र पापी ।
संगीन with Rangeen (colorful)as the justice was less of a serious type but more of festival type where people enjoy the news same as they enjoy chutney (sauce) with dried roti (Bread.)

-Nishant