Monday, November 29, 2010

दाढी वाले बाबा


मन मोहो तो तुमको मानें, दाढी वाले बाबा!
देवी-भक्त को देवता जानें, दाढी वाले बाबा!

तिनका कब तक छुपा रखोगे, लंबी-सी दाढी में,
लब ये कब तक दबा रखोगे, कंघी-सी दाढी में,
उलझी-सी आवाज़ कभी तो सुलझेगी, निकलेगी,
जटा-जूट में फंसी अक्ल है, कभी तो कुछ मचलेगी,
यही उम्मीद लिए बैठे हैं, देश के एक अरब ये,
कभी तो राजा रंक बनेगा, सभी की है तलब ये,
तलब मिटा दो.. ओ मनमाने दाढी वाले बाबा!
देश बचा लो..ओ "बाबा" के दाढी वाले बाबा!


-विश्व दीपक