Saturday, November 26, 2016

चेहरा और नीयत


हम चेहरे चुनते हैं,
हम चेहरे सुनते हैं,
चेहरे की लीपापोती को
चेहरे-सा गुनते हैं...
.
चेहरे पर सारी नीयत
आकर रुक जाती है,
चेहरे पर सच्ची सीरत
रुककर झुक जाती है...
.
चेहरा औरों की खातिर
मस्तिष्क हो जाता है,
चेहरा हर थोथे निर्णय का
मालिक हो जाता है...
.
चेहरा चेहरा न होकर
इंसान-सा जीता है,
चेहरा इस ओछी दुनिया में
भगवान सरीखा है....

- Vishwa Deepak Lyricist

Thursday, September 15, 2016

यह तुम्हारा देवता है


मैं परसो तक तुम्हारा था,
आज?
.
तुम हारे हो,
मैं नहीं।
.
सच घोड़े के तलवों में ठुकी
काली नाल है,
रुकना, चलना, मुड़ना - सब भारी!
सच उस्तरा है
दो-धारी!!!
.
निरपेक्ष सच
नहीं सरकता गले के नीचे. .
पर
सच सापेक्ष भी तो नहीं होता..
absolute entity है ये.…
.
निष्पक्ष सच?
सच का पक्ष क्या?
.
तुम्हारे सच का पक्ष है,
वह पिछले झूठों से थोड़ा कम झूठा है..
आज की रात कल की रात से कम काली है,
इसे सुबह कहें?
.
यह कातिल सर नहीं काटता,
नस काटता है...
यह तुम्हारा देवता है।
.
यह देवता
यह सच
तुम्हें मुबारक।
तुम हारे हो,
मैं नहीं......

- Vishwa Deepak Lyricist