Saturday, October 20, 2012

प्यार की मीठी चाय


तब रोया था वो...

पाँव लफ़्ज़ के उलझ पड़े थे,
छिटक के साँसें - सांय - गिरी थीं,
आँखों के फिर आस्तीन पर
प्यार की मीठी चाय गिरी थी,
बर्फ ख्वाब के पिघल गए तब,
पलक से बूँदें हाय, गिरी थीं..

हाँ, रोया था वो...

- Vishwa Deepak Lyricist

7 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत खूब .... ख्वाबों की बर्फ तो पिघलनी ही थी आखिर चाय गरम थी न :)

आशा बिष्ट said...

waaah..kya kahun ...shbd khoj rahi hoon..

रश्मि प्रभा... said...

http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/10/blog-post_20.html

Rajesh Kumari said...

वाह बहुत सुन्दर एहसास में डूबे शब्द पहली बार आपके ब्लॉग का पता चला जुड़ गई हूँ आपके ब्लॉग से वक़्त मिले तो मेरे ब्लॉग पर भी तशरीफ़ रखिये ---http://hindikavitayenaapkevichaar.blogspot.in/

yug said...

ultimate...!!
this one is the best..
:)

Suman said...

sundar ...

विश्व दीपक said...

आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया..