Tuesday, October 09, 2012

अज्ञानी


तुम परिभाषा में अटकी हो,
मुझे भाषा तक का ज्ञान नहीं,
मैं अभिलाषा को जीता हूँ,
तुम्हें आशा तक का ज्ञान नहीं....

मैं प्रत्याशा पर अटका हूँ!!!
तुम परिभाषा में अटकी हो!!

- Vishwa Deepak Lyricist

3 comments:

Ravindra Joglekar said...

आपका ब्लॉग शीर्षक ही अपने आप मैं कविता हैं

Anju said...

बहुत ही गहन अभिव्यक्ति ......पहली बार आप के ब्लॉग पर आना हुआ ......सार्थक हुआ ......

विश्व दीपक said...

बहुत-बहुत शुक्रिया..

यह प्रोत्साहन यूँ हीं बनाए रखिएगा...