Friday, August 10, 2012

सौ चेहरे


मैंने सौ चेहरे रखे,
एक-दो गहरे रखे..

बोलती बाज़ी रही,
बेज़ुबां मोहरे रखे..

लफ़्ज़ बेमानी रहे,
मायने दुहरे रखे..

डूबती आँखें रहीं,
ख्वाब पर ठहरे रखे..

भागती "तन्हा"ई थी,
दर्द पर पहरे रखे..

- Vishwa Deepak Lyricist

1 comment:

डा. गायत्री गुप्ता 'गुंजन' said...

लफ़्ज़ों की रहनुमाई में,
दर्द के कुछ कतरे रखे...