Sunday, July 15, 2012

उस रात


नींद के दरवाज़े खोलकर
आई वो धीरे से...

न चश्मा उतारा,
न कपड़े बदले,
न हँसी,
न रोई,
न हिचकी,
न ठिठकी..

बस मुड़ी मेरी ओर
और
खींच कर मुझे
समा गई बिस्तर में...

बदचलन मौत!!!

- Vishwa Deepak Lyricist