Wednesday, July 04, 2012

चलो


चलो चाँद की चाहरदीवारी तोड़ आएँ,
चलो लूट लें एकबारगी हक़ शायरों का...

चलो जाग लें जुगनू की रोशनी तले,
चलो छीन लें खामोशियाँ सब रात से...

चलो जान लें है जानलेवा ज़िंदगी,
चलो जान दे के मौत से रेहन छुड़ा लें...

चलो बात कर के शब्द को बेमानी कर दें,
चलो शांत रह के छोड़ दें सागर नदी में...

चलो नींद पी के ख्वाब को जबरन उठा लें,
चलो ख्वाब ला के नींद को जी भर धुनें...

चलो आस रख के फिर से लुट जाएँ यहाँ,
चलो प्यार कर के आखिरी जेवर गवां दें...

चलो...

चलो चाँद की चाहरदीवारी तोड़ आएँ...
चलो प्यार कर के आखिरी जेवर गवां दें...

- Vishwa Deepak Lyricist

No comments: