Tuesday, June 19, 2012

सनद रहे


सनद रहे!!! 



आसमां की अंतड़ियों में 
अम्ल डाल के बैठे हैं जो 
उनकी नाजुक जिह्वाओं पे 
अमलतास के बीज पड़ेंगे - 
ऐसे ख्वाब संजोने वाले 
उन सारे कापुरूषों पे अब 
जीर्ण-शीर्ण हीं सही मगर कुछ 
खंडहर बनने को आतुर 
मेरे भूत के पुण्य दो-महले 
उसी अम्ल की बारिश चुनकर 
सर से नख तक ठप-ठप, ढप-ढप 
बनकर कई सौ गाज़ गिरेंगे.. 


हाँ 
हाँ 
आज के आज गिरेंगे... 


सनद रहे!!! 

 - Vishwa Deepak Lyricist

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