Wednesday, January 25, 2012

सजीले सपने


पल्लवी (मुखड़ा) :

सजीले सपने
सिरहाने उतरे हैं...
दिलों को अपने
मिलवाने उतरे हैं...
मीठी मीठी बतियाँ
प्यारी प्यारी रतियाँ
बरसाने उतरे हैं...

चरणम (अंतरा) १:

अलबेली अलसाई
सकुचाई शरमाई
खुशियों की परछाई
अंखियों में भर आई..

सजीले सपने
सिरहाने उतरे हैं...

पलकों की खिड़की से तकते हैं,
सपने जो बहके से रहते हैं,
चेहरे की गलियों में ढलते हैं,
अधरों पे जा के हीं मनते हैं...

उतरेंगे अधरों से दिल में ये तेरे हीं...


सजीले सपने
सिरहाने उतरे हैं...
दिलों को अपने
मिलवाने उतरे हैं...
मीठी मीठी बतियाँ
प्यारी प्यारी रतियाँ
बरसाने उतरे हैं...


चरणम (अंतरा) २:

अठखेली अंगड़ाई
भरती ये पुरवाई
तेरी मेरी तन्हाई
तुझसे है कह आई...

सजीले सपने
सिरहाने उतरे हैं...

अब तो हाँ जो भी है तुझ से हीं,
हाँ बोलो ना बोलो मुझ से हीं,
पर देखो चाहा है जब से हीं,
रब छोड़ा रुख मोड़ा सब से हीं...

दिखते हैं तुझको भी सपने तो मेरे हीं..


सजीले सपने
सिरहाने उतरे हैं...
दिलों को अपने
मिलवाने उतरे हैं...
मीठी मीठी बतियाँ
प्यारी प्यारी रतियाँ
बरसाने उतरे हैं...



आप इस गाने को यहाँ पर सुन सकते हैं जया की आवाज़ में.. संगीत है किच्चा का...

Saturday, January 21, 2012

उग-सा आया

जभी चाहा तभी मैं उग-सा आया,
हटा के पत्थरों को उठ-सा आया,
तुम्हारे नाखूनों के उन्स भर से
ज़मीं की गैरियत को उकसा आया।

बहुत सब्जा,
बहुत सब्जा,
बहुत समझा कि अब सब्जा
की है बारी इस सहरे में
बहुत समझा कि सपनों की
है तैयारी दुपहरे में,
बहुत समझा कि माटी पे
लकीरें हैं लगावट की,
नहीं समझा कि मैं बस हूँ
कतारों में सजावट की..

जभी चाहा
जभी चाहा मुझे वो चुग-सा आया..


तुम्हारे नाखूनों के उन्स भर से
ज़मीं की गैरियत को उकसा आया।

बहुत उबला,
बहुत उबला,
बहुत उजला-सा ये उबला
जो है आँसू किनारों में
बहुत उगला है आँखों ने
नमक-सा हर गरारों में,
बहुत उजड़ा हूँ मैं तो अब
जड़ों में इस मिलावट से,
नहीं उबरा हूँ नस-नस में
ज़हर वाली लिखावट से..

जभी चाहा
जभी चाहा लबों पे टुक-सा आया..


तुम्हारे नाखूनों के उन्स भर से
ज़मीं की गैरियत को उकसा आया।

Sunday, January 08, 2012

सात हाईकु

.
कदम ताल
ख्वाब से ख्वाब तक
रात सौ फांक

.
आकाश गंगा
यादों की खूनी राह
घिसता मन

.
दर-ब-दर
धूप के पीले पन्ने
सुबके दिन

.
तुम ना आई
बीते छह जन्मों-सी
इस बार भी

.
कुदरत है!
सूखे चढें आग पे
कच्चे देवों पे

.
ढूँढना तुम
फुरसत के पल
फुरसत से

.
बातें दिल की
जबकि सारे जानें
मैं हीं गाफ़िल

- विश्व दीपक