Saturday, December 10, 2011

तड़प की रात

तड़प की रात बीतेगी, 
तड़प के साथ बीतेगी...


झड़ेंगे पंख चींटी के, 
सज़ा की बात बीतेगी... 


तवे की नर्म नज़दीकी 
जला के हाथ बीतेगी... 


लगी है आग फूलों में, 
जड़ों की ज़ात बीतेगी... 


कहेंगे यार ’तन्हा’ तो 
कहीं तो मात बीतेगी... 


- विश्व दीपक

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