Wednesday, March 31, 2010

तुम हो क्या..


मुखड़ा

साँसों की दूरियाँ
मुझको तो भाए ना।
आँखों की चोरियाँ
अब सही जाए ना।
साँसों की दूरियाँ
मुझको तो भाए ना।
आँखों की चोरियाँ
अब सही जाए ना।

बेताबियाँ
क्यूँकर यहाँ हैं,
खामोशियाँ
क्यूँ हैं यहाँ,
गुस्ताखियाँ
तुम कुछ करो ना,
माने ना
दिल ये मेरा।

तुम हो क्या,
रब की दुआ,
गुमसुम हो,
क्यों हो खफ़ा।
तुम हो क्या,
रब की दुआ,
गुमसुम हो,
क्यों हो खफ़ा..
बेवज़ह................

अंतरा 1

मुझको बता, मेरी खता, यूँ ना सता, जाँ,
मुझमें खोके, चाहत के पल, जी ले आ, ज़रा।


मुझको बता, मेरी खता, यूँ ना सता, जाँ,
मुझमें खोके, चाहत के पल, जी ले आ, ज़रा।

अंतरा 2

हो ना कैसे, ख्वाहिश तेरी ,चाहूँ तुझे, जो,
तेरे बिन तो, जीना यूँ है, जी हीं ज्यों न, हो।


हो ना कैसे, ख्वाहिश तेरी ,चाहूँ तुझे, जो,
तेरे बिन तो, जीना यूँ है, जी हीं ज्यों न, हो।


-विश्व दीपक

1 comment:

Amitraghat said...

बढिया रचना........."