Tuesday, December 02, 2008

अनकथ तेरी शहादत को, किस पैमाने पर तोल लिखूँ?

दो बोल लिखूँ!
शब्दकोष खाली मेरे, क्या कुछ मैं अनमोल लिखूँ!

आक्रोश उतारुँ पन्नों पर,
या रोष उतारूँ पन्नों पर,
उनकी मदहोशी को परखूँ,
तेरा जोश उतारूँ पन्नों पर?

इस कर्मठता को अक्षर दूँ,
निस्सीम पर सीमा जड़ दूँ?
तू जिंदादिल जिंदा हममें,
तुझको क्या तुझसे बढकर दूँ?
अनकथ तेरी शहादत को, किस पैमाने पर तोल लिखूँ?

मैं मुंबई का दर्द लिखूँ,
सौ-सौ आँखें सर्द लिखूँ,
दहशत की चहारदिवारी में
बदन सुकूँ का ज़र्द लिखूँ?

मैं आतंक की मिसाल लिखूँ,
आशा की मंद मशाल लिखूँ,
सत्ता-विपक्ष-मध्य उलझे,
इस देश के नौनिहाल लिखूँ?
या "राज"नेताओं के आँसू का, कच्चा-चिट्ठा खोल लिखूँ?

फिर "मुंबई मेरी जान" कहूँ,
सब भूल, वही गुणगान कहूँ,
डालूँ कायरता के चिथड़े,
निज संयम को महान कहूँ?

सच लिखूँ तो यही बात लिखूँ,
संघर्ष भरे हालात लिखूँ,
हर आमजन में जोश दिखे,
जियालों-से जज़्बात लिखूँ।
शत-कोटि हाथ मिले जो, तो कदमों में भूगोल लिखूँ!
हैं शब्दकोष खाली मेरे, क्या कुछ मैं अनमोल लिखूँ?

-विश्व दीपकतन्हा

6 comments:

राजीव रंजन प्रसाद said...

बहुत सुन्दरता से आपने अपना दर्द बयां किया है।

सच लिखूँ तो यही बात लिखूँ,
संघर्ष भरे हालात लिखूँ,
हर आमजन में जोश दिखे,
जियालों-से जज़्बात लिखूँ।
शत-कोटि हाथ मिले जो, तो कदमों में भूगोल लिखूँ!
हैं शब्दकोष खाली मेरे, क्या कुछ मैं अनमोल लिखूँ?

बेहतरीन कविता।


***राजीव रंजन प्रसाद

Alok Shankar said...

http://www.orkut.co.in/Main#FullProfile.aspx?uid=5185304287748406909

विपुल said...

तन्हा जी .. मुंबई मे जो भी हुआ इस पर बहुत कुछ लिखा गया लेकिन आपकी कविता में गुस्से से बचते हुए आपने एक दम सटीक प्रस्तुति दी है |
शिल्प का जवाब नहीं और भाव उभरकर आ रहे हैं सामने...
बेहतर कविता का शानदार प्रस्तुतिकरण !

Straight Bend said...

शत-कोटि हाथ मिले जो, तो कदमों में भूगोल लिखूँ!
हैं शब्दकोष खाली मेरे, क्या कुछ मैं अनमोल लिखूँ?

Bade dinon baad aapki rachana padhne ko mili.

Rachana achchi hai per Khushi to kuchh hai nahin .. Mumbai attacks ke baad ...

RC

श्रद्धा जैन said...

mumbai main jo kuch hua use waqayi logon ki aankhen sard ho gayi houngi
shayad kuch der tak to kuch ehsaas hi na bache ho

aapne ek ek shabad main bahut ghari baat likhihai

Anonymous said...

Mumbai Terrorist attack se pahle bhi Mumbai mein kuch hua tha jo desh ko todne ke liya kaafi tha aur ye nakabile maafi tha.

Kuch uske bare mein bhi likh dete... bye and take care